आज के इस प्रकाशन के माध्यम से हम जानेंगे कि शेयर बाजार क्या है अर्थात् share bazar kya hain तथा आप जानना चाहते हो की शेयर बाजार से पैसे कैसे कमाए तो आज के इस लेख के माध्यम से हम शेयर बाजार से संबंधित सभी जानकारी को बहुत ही विस्तार में जानेंगे जिसके आपको शेयर मार्केट से संबंधित कोई भी कन्फ्यूजन नही रहेगा लेकिन इसके लिए आप लेख को पूरा पढ़िए
आज हम जानेंगे की शेयर बाजार में आने की किसी भी कंपनी को क्यों आवश्यकता पड़ती हैं तथा यदि कोई कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होना चाहती हैं तो उसे इसके लिए किस किस प्रोसेस से गुजरना होगा तथा इसके बाद पहली बार शेयर बाजार में उस कंपनी का शेयर किस प्रकार आता हैं तथा फिर शेयर का प्राइस किस प्रकार निर्धारित होता हैं
किसी भी कंपनी का शेयर बाजार में आने के पीछे अलग अलग उद्देश्य हो सकते हैं कोई भी कंपनी किन किन उद्देश्यों को लेकर शेयर बाजार में आई हैं वह सब कुछ आज के इस लेख के माध्यम से जानने की कौशिक करेंगे इसके अलावा जानेंगे की कोई भी कंपनी शेयर मार्केट में कितनी जगह से लिस्ट हो सकती हैं लेकिन उससे पहले जानते हैं की आखिर share market होता क्या हैं |
शेयर बाजार क्या है इन हिंदी 2022
शेयर बाजार क्या है उससे पहले आपको जानना होगा की बाजार क्या होता हैं तो आप जानते ही होगे की बाजार ,एक यैसा स्थान होता हैं जहां किसी वस्तु को खरीदने और बेचने का कार्य किया जाता हैं ठीक इसी प्रकार शेयर बाजार भी बह बाजार होता हैं जहां किसी भी कंपनी के शेयर को खरीदने और बेचने का कार्य किया जाता हैं चुकी इस बाजार में आप शेयर सीधे कंपनी से नही बल्कि किसी ब्रोकर के माध्यम से शेयर खरीदते है इसीलिए इसे सेकेंडरी मार्केट कहते हैं।
आज के समय में लगभग सभी लोग शेयर बाजार में इन्वेस्ट करके पैसा कमाना चाहते हैं तो शेयर बाजार में पैसा कमाना जितना आसान हैं उतना ही आसान है शेयर बाजार में पैसा गवाना इसीलिए यदि आप शेयर बाजार से पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको पहले इससे संबंधित सारी रिसर्च कर लेनी चाहिए जिससे आप शेयर बाजार में एक सफल शेयर इन्वेस्टर बन सको
अब आपने यह तो जान लिया की शेयर बाजार क्या हैं लेकिन अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा की किसी भी कंपनी शेयर बाजार में आखिर आना ही क्यों चाहती हैं यदि वो शेयर बाजार में आना चाहे तो उसके लिए उस कंपनी को क्या क्या करना होगा
कंपनी को शेयर बाजार की क्या जरूरत है
कोई भी कंपनी शेयर बाजार में आपने अलग अलग उद्देश्य को लेकर आ सकती हैं शेयर बाजार में आने से पहले कंपनी को SEBI अर्थात् securities and exchange bord of India से अप्रूव लेना पड़ता हैं जिसमे मुख्यता कंपनी को SEBI के पास RED HERRING PROSPECTUS जमा करना होता हैं जिसमे कंपनी को SEBI को यह बताना पड़ता हैं की उसका शेयर बाजार में आने के पीछे क्या उद्देश्य हैं किसी भी कंपनी के इस red herring prospectus को कोई भी व्यक्ति SEBI की website पर जाकर देख सकता हैं
कोई भी कंपनी मुख्यता शेयर बाजार में निम्न कारणों की कारणों से आती हैं।
Debt को कम करना : यदि कंपनी के ऊपर debt अर्थात् कर्जा हैं जिसको कंपनी दूर करना चाहती हैं तो इसके लिए कंपनी शेयर बाजार में आ सकती हैं
Expansion करना : यदि कंपनी अभी ठीक चल रही हैं लेकिन अब कंपनी expansion अर्थात् अपना विस्तार करना चाहती हैं तो इसके लिए कंपनी शेयर बाजार में आ सकती हैं और शेयर के माध्यम से फंड अर्थात् पैसा इकट्ठा कर सकती हैं।
Investors : कंपनी के जो मौजूदा investor अर्थात् निवेशक जो अब कंपनी के साथ अपने निवेश को वापिस लेना चाहते और कंपनी के owner अभी उनके निवेश को वापिस देने की स्तिथि में नही हैं तो इस स्तिथि में भी कंपनी शेयर बाजार में आ सकती हैं।
शेयर बाजार में SEBI क्या हैं
SEBI क्या हैं तो SEBI जिसका पूरा नाम होता हैं securities and exchange bord of India जिसे हिंदी में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कहा जाता हैं इसकी स्थापना 30 जनवरी 1992 को की गई थी SEBI जिसे हिंदी के शॉर्ट रूप में सेबी भी कहते हैं का मुख्य निवेशक को सुरक्षा प्रदान करना होता हैं जिससे की किसी भी निवेशक का रुपए सुरक्षित रहे
निवेशक अर्थात investor की सुरक्षा के लिए सेबी समय समय पर नए नए प्रावधान बनाती रहती हैं यदि कोई कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होना चाहती हैं तो उसे सबसे पहले सेबी से अप्रूवल लेना होगा उसके बाद ही कोई कंपनी अपने लिए फंड अर्थात् पैसा इकट्ठा कर सकती हैं।
आईपीओ क्या है विस्तार में समझाइए
जब कंपनी सेबी से अप्रूवल हो जाती हैं और शेयर बाजार में पहली बार अपना शेयर लाती हैं तो इसे IPO अर्थात् initial public offer कहा जाता हैं चुकी इसमें सीधे कंपनी शेयर बाजार अपना शेयर लाती है इसीलिए इसे प्राइमरी मार्केट कहते हैं किसी भी कंपनी कंपनी के मालिक अपनी के अधिकतम 50 प्रतिशत के शेयर ही मार्केट में लाते हैं क्योंकि यदि वह 50 प्रतिशत से ज्यादा शेयर, शेयर मार्केट में लाते हैं तो उनके पास कंपनी का मालिकाना हक नही बचता हैं चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। इस उदाहरण को हम आर्टिकल के अंत तक प्रयोग करेंगे इसीलिए इसे ध्यान से पढ़िए
माना कोई एक कंपनी हैं जिसकी मार्केट में कुल कीमत 1000 करोड़ रुपए की हैं और अब कंपनी सेबी से अप्रूवल हो चुकी हैं और मार्केट में अपना आईपीओ अर्थात् initial public offer लाना चाहती हैं इस स्तिथि में कंपनी में 1000 करोड़ में से 500 रुपए के ही शेयर बेचेगी क्योंकि इससे ज्यादा शेयर बेचने पर कंपनी के मालिक के पास मालिकाना हक नही रहेगा।
अब कंपनी अपनी कीमत के 500 करोड़ रुपए के एक करोड़ शेयर मार्केट में लाती हैं तो आईपीओ में कंपनी के एक शेयर की कुल कीमत होगी 50 रुपए प्रति शेयर होगी लेकिन जब कंपनी IPO लाती हैं तब शेयर एक एक करके नही बेचा जाता बल्कि शेयर को LOT में बेचा जाता हैं जहां एक LOT में कई शेयर हो सकते हैं यह fix नही हैं की एक LOT में कितने शेयर होगे यह पूरा कंपनी पर निर्भय करता हैं की वह एक LOT में कितने शेयर को रखती हैं।
मान लेते हैं की कंपनी ने एक LOT में 100 शेयर को रखा हैं तो 50 रुपए प्रति शेयर के अनुसार एक LOT शेयर की कुल कीमत 50×100 = 5000 रुपए होगी लेकिन जैसा में अभी बताया की कंपनी IPO में शेयर को LOT में बेचती हैं तो 1 करोड़ कंपनी के शेयर हैं तो कंपनी के पास कितने LOT होगे इसे समझते हैं
LOT = कंपनी के कुल शेयर की संख्या /एक LOT में शेयर की संख्या
LOT = 1 करोड़/100 = 01 लाख
तो यहां से आप देख सकते हैं की 01 करोड़ शेयर के बाबजूद LOT की संख्या 01 लाख ही हैं जिसका मतलब हैं की अधिकतम 01 लाख लोगो को ही उस कंपनी का शेयर मिल पाएगा क्योंकि किसी भी व्यक्ति को एक LOT से कम शेयर अलॉट ही नहीं होते हैं।
आईपीओ का वितरण किस प्रकार होता हैं
आईपीओ में अप्लाई करने के बाद इसका वितरण किस प्रकार होता हैं और आपको किसी भी कंपनी का ipo मिलने की सभाबना कितनी हैं चलिए इसे विस्तार से समझते
उसी उदाहरण को बापिस लेते हैं अब जैसा को कंपनी के पास कुल 01 लाख lot हैं तो अधिकतम एक लाख ब्यक्तिओ को ही ipo शेयर मिल सकता हैं क्योंकि किसी भी व्यक्ति को एक से कम आईपीओ नही दिया जा सकता हैं लेकिन ipo वितरण को चार भागों में विभाजित करके दिया जाता हैं। जिनमे अलग अलग भाग के लिए ipo की कुछ निश्चित प्रतिशत sebi द्वारा निर्धारित को गई हैं
- Qualified Institutional Buyer (QIB) : Qualified institutional buyer जिन्हे शॉर्ट में QIB भी कहते हैं इनको जब भी कोई कंपनी अपना आईपीओ लाती हैं तो कुल आईपीओ का 50 प्रतिशत आईपीओ शेयर इनको ही दिया जाता हैं इनमे म्यूचुअल फंड,पेंशन फंड एंड बैंकिंग सेक्टर शामिल हैं
अपने उदाहरण के अनुसार QIB को कुल 01 लाख आईपीओ शेयर में से 50 प्रतिशत के अनुसार 50 हजार आईपीओ शेयर दिए जाएंगे
- Non Qualified institutional / High Networth Investors : दूसरा नंबर आता हैं NON Qualified institutional और High Network individual जिन्हे शॉर्ट रूप में HNI भी कहते हैं इनके लिए भी कुल आईपीओ lot शेयर के लगभग 15 प्रतिशत आईपीओ lot दिए जाते हैं इस प्रकार की केटेगिरी में वो इन्वेस्टर आते हैं जो 02 लाख रुपए से ज्यादा के lot शेयर खरीदते हैं
अपने उदारहरण के अनुसार 01 लाख lot शेयर में से लगभग 15000 lot शेयर इस केटेगिरी को दिए जाएंगे
- Retail Investors : इसमें आम व्यक्ति आता हैं जो एक आईपीओ lot शेयर के लिए भी अप्लाई कर सकता हैं ऐसा बिल्कुल भी नही हैं की retail Investors केटेगिरी के लोग एक से ज्यादा आईपीओ lot शेयर के लिए अप्लाई नही कर सकता हैं लेकिन यदि आईपीओ ओवर सब्सक्राइब हुआ तो एक व्यक्ति को अधिकतम एक ही आईपीओ lot शेयर दिया जाएगा इस केटेगिरी के लिए 30 से 35 प्रतिशत आईपीओ lot शेयर लिए आते हैं ऐसा इसीलिए है क्योंकि किसी किसी कंपनी के आईपीओ में employees के लिए अलग से आईपीओ lot शेयर आरक्षित कर दिए जाते हैं।
अपने उदाहरण के अनुसार एक लाख कुल lot शेयर में से 30000 से 35000 शेयर इस केटेगिरी को दिए जाएंगे
- Employees : lot वितरण की चौथरी केटेगिरी हैं employees की हैं जिसमे जो भी कंपनी आईपीओ लाती है बह अपने एम्प्लॉयज के लिए कुछ आरक्षण देती हैं यह आरक्षण 02 से 05 प्रतिशत हो सकता हैं अपने उदाहरण के अनुसार 1 लाख आईपीओ lot शेयर में से employees केटेगिरी को 2000 से 5000 lot शेयर दिए जा सकते हैं
शेयर बाजार आईपीओ सब्सक्राइब और ओवर सब्सक्राइब
शेयर बाजार में आईपीओ सब्सक्राइब का मतलब होता हैं की किसी भी कंपनी के आईपीओ के लिए अप्लाई करना आईपीओ सब्सक्राइब अलग अलग केटेगिरी के लिए अलग अलग होता है इन केटेगिरी के बारे में आप उपर जान चुके हैं
उदाहरण के लिए retail investors केटेगिरी को लेते हैं क्योंकि ज्यादातर लोग उसी में अप्लाई करते हैं तो किसी कंपनी के लिए रिटेल केटेगिरी के लिए 3000 lot शेयर दिए जाएंगे परंतु यदि 5000 ब्यक्तियो ने आईपीओ lot के लिए अप्लाई कर दिया हैं तो इस स्तिथि को ही कहते हैं आईपीओ का over subscribe हो जाना अर्थात जितने आईपीओ lot शेयर नही हैं जितना अप्लाई हुआ हैं इस स्तिथि में 02 बाते निश्चित हैं
- यदि किसी भी व्यक्ति ने एक से ज्यादा ipo lot शेयर के लिए अप्लाई किया हैं तो उसे एक से ज्यादा lot शेयर नही मिल पाएगा
- आईपीओ lot शेयर का वितरण अब lucky draw के जरिए किया जाएगा क्योंकि कुल 3000 लोगो को ही आईपीओ lot दिया जाना हैं।
यह तो हो गई बात जब आईपीओ over subscribe की स्तिथि में क्या होगा लेकिन जब आईपीओ over subscribe नही हुआ तो आईपीओ का वितरण किस प्रकार होगा तो चलिए इसे समझते हैं
इसी उदाहरण को बापिस लेते हैं की retail Investors की केटेगिरी में कुल 3000 आईपीओ lot शेयर के लिए आईपीओ को सब्सक्राइब 2800 लोगो ने ही किया हैं तब इस स्तिथि में भी 02 बाते निश्चित हैं
- प्रत्येक व्यक्ति को अब कम से कम एक आईपीओ lot शेयर जरूर दिया जाएगा
- अब एक व्यक्ति को एक से ज्यादा आईपीओ lot शेयर मिल सकता हैं क्योंकि कुल आईपीओ lot 3000 हैं और सब्सक्राइब मात्र 2800 लोगो ने ही किया हैं
नोट : यदि किसी कंपनी का आईपीओ कुल lot शेयर का 90% अप्लाई नही हुआ अर्थात् subscribe नही हुआ तो इस स्तिथि में SEBI इस कंपनी के आईपीओ को सफल नहीं मानेगी और इसको शेयर बाजार में रजिस्टर्ड होने से रोक देगी
इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं बापिस रिटेल इन्वेस्टर को लेते हैं माना इसमें 3000 lot शेयर हैं तो 90 प्रतिशत सब्सक्राइब के अनुसार 2700 लोगो को इस आईपीओ lot शेयर के लिए सब्सक्राइब जरूर करना होगा जभी यह आईपीओ सफल माना जाएगा अन्यथा यह आईपीओ फेल हो जाएगा और यह कंपनी शेयर बाजार में रजिस्टर्ड नही हो पाएगी।