आज के इस प्रकाशन के माध्यम से हम यह जानेंगे की भारत के इतिहास में असहयोग आंदोलन कब हुआ था अर्थात् bhaarat ke itihaas mein asahayog andolan kab hua tha इस आंदोलन का मुख्य कारण क्या था इस आंदोलन में कोन कोन नेता ने अपनी पूरी भूमिका निभाई थी
इस आंदोलन को सफल बनाने में किस किस नेताओ ने अपनी बल, बुद्धि, विवेक, तन, मन, धन इस सब को अपने मन के खजाने से लुटाकर आंदोलन को सफल बनाया साथ में यह भी जानेंगे कि भारत के इतिहास में असहयोग आंदोलन का होना कितना जरूरी था असहयोग आंदोलन कितने दिन चला था।
यह आंदोलन किस शहर से शुरू हुआ था और इस शहर में समाप्त हुआ इस आंदोलन में कितनी मोते हुई और यह आंदोलन कोन कोन देशों के बीच हो रहा था असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था असहयोग आंदोलन होने से भारत को क्या क्या नुकसान हुए और इसके क्या क्या लाभ हुए
असहयोग आंदोलन कब हुआ था in hindi
भारत के इतिहास में असहयोग आंदोलन कब हुआ था तो असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में मात्र दिखावे के लिए क्या जाना था और बाद में आंदोलन का प्रस्ताव कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को प्रस्ताव पारित हुआ जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने इसे अपना मात्र दिखावे के लिय आंदोलन मान लिया था
इस आंदोलन का मुख्य रूप से पूरा काम महात्मा गांधी जी की देख रेख में चलाया जाने वाला प्रथम जनता आंदोलन था। इस आंदोलन का मुख्य कारण जनता का आधार था। शहरी क्षेत्र के माध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानो को और नीचे जाति के सभी लोगो को अत्यंत सहयोग मिला। इस आंदोलन में काम करने वाले मजदूर वर्ग के लोगो की भी भागीदारी थी। इस प्रकार यह आंदोलन का नाम असहयोग आंदोलन बन गया।
असहयोग आंदोलन ने मुख्य कौन कौन नेताओ की क्या क्या भूमिका थी सारणी ।
क्रमांक | असहयोग आंदोलन में शामिल नेताओ के नाम | नेताओ के द्वारा निभाई है भूमिका |
01 | महात्मा गांधी जी | आंदोलन के पीछे मुख्य ताकत 1920 में घोषणा पत्र की घोषणा की |
02 | सीआर दास | 1920 में नागपुर में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में असहयोग पर मुख्य प्रस्ताव पेश किया उनके तीन अधीनस्थों और समर्थकों, मिदनापुर में बीरेंद्रनाथ संसल , चटगांव में जेएम सेनगुप्ता और कलकत्ता में सुभाष बोस ने हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट करने में प्रमुख भूमिका निभाई। |
03 | जवाहर लाल नेहरु | किसान सभाओं के गठन को प्रोत्साहित किया आंदोलन वापस लेने में गांधी के फैसले के खिलाफ था |
04 | सुभाष चन्द्र बोस | सिविल सेवा में स्टीफा दिया कलकत्ता में नेशनल कॉलेज के प्राचार्य के रूप में नियुक्त किया गया |
05 | अली बंधु | अखिल भारतीय खिलापत सम्मेलन में |
06 | मोतीलाल नेहरू | अपने कानूनी अभ्यास को त्याग दिया |
07 | लाला लाजपत राय | शुरू में आंदोलन का पक्ष नही लिया बाद में बह इसे वापस लेने के खिलाप था |
08 | सरदार वल्लभ भाई पटेल | गुजरात में आंदोलन फैलाओ |
असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था ।
असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था तो असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में प्रारंभ हुआ था जब पहले दिन आंदोलन हुआ तो पूरी केंद्र की प्रशाशन हिल गई थी क्योंकि आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया. वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया. कई कस्बों और नगरों में मजदूर हड़ताल पर चले गए. शहरों से लेकर गांव देहात में इस आंदोलन का असर दिखाई देने लगा
तब अंग्रेज हुक्मरानों की बढ़ती संख्या का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी ने 1920 में एक अगस्त को असहयोग आंदोलन का प्रारंभ किया था. असहयोग आंदोलन का अंग्रेजो पर इतना असर रहा की जब सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार अंग्रेजी राज की नींव हिल गई.
असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण क्या हैं। संक्षेप में
- एक साल में हासिल नहीं हुआ।
- यह वास्तव में एक जन आंदोलन था जहाँ लाखों भारतीयों ने शांतिपूर्ण तरीकों से सरकार के खिलाफ खुले विरोध में भाग लिया।
- इसने ब्रिटिश सरकार को झकझोर दिया जो आंदोलन की सीमा से स्तब्ध थी
- ।इसमें हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की भागीदारी देखी गई जिससे देश में सांप्रदायिक सद्भाव का प्रदर्शन हुआ।इस आंदोलन ने लोगों के बीच कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता स्थापित की।
- इस आंदोलन के परिणामस्वरूप लोग अपने राजनीतिक अधिकारों के प्रति जागरूक हुए। वे सरकार से नहीं डरते थे।
असहयोग आंदोलन का वर्णन कीजिए
असहयोग आंदोलन के माध्यम से महात्मा गांधी जी ने देश को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ किया था। यह आन्दोलन देशभर में फैल गया था। इसे व्यापक जनता का सहयोग मिला था। हजारों व्यक्तियों को जेल जाना पड़ा। प्रत्येक वर्ग ने अंग्रेजों के शासन के प्रति असहयोग करना शुरू कर दिया।
जब उ. प्र. में चौरी-चौरा नामक स्थान पर हिंसा बन गया और भीड़ ने 29 अंग्रेजों को जलाकर मार डाला, तब गाँधीजी ने अचालक आन्दोलन को स्थगित कर दिया। आन्दोलन स्थगित किए जाने से भारत के सभी सदस्यों में निराशा छा गई। बाद में बाबू चितरंजन दास के नेतृत्व में स्वराज्य दल का गठन किया गया।क्योंकि महात्मा गाँधी अहिंसा में विश्वास रखते थे
आज के इस लेख में हमने भारतीय इतिहास के असहयोग आंदोलन के बारे में पूरी जानकारी हिंदी में अच्छे से समझी है अब यदि किसी भी व्यक्ति को असहयोग आंदोलन की जानकारी से संबंधित में कोई भी प्रोब्लम जाती है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं